Kavi Tejpal
कवि तेजपाल
कवि तेजपाल मूल संघ के भट्टारक रत्न कीर्ति, पवन कीर्ति की आम्नाय के थे। इनका निवास धारावपुर नामक गांव में था। इनके पिता का नाम ताल्हडय साहू था। यह खंडेलवाल गोत्र के थे। कवि सुंदर और बुद्धिमान होने के साथ-साथ जिनेंद्र भगवान के भक्त भी थे। वह ग्रंथ रचना के साथ साथ प्रतिष्ठा आदि कार्यों में सहयोग प्रदान करते थे। कवि का समय विक्रम की 16वीं शताब्दी सिद्ध होता है। कवि की पहली रचना संभवणाह चरिउ है।
कवि की दूसरी रचना वरंग चरिउ है। इसमें चार संधियां हैं। इस ग्रंथ में तीर्थंकर नेमिनाथ के शासन काल में उत्पन्न हुए पुण्य पुरुष वरांग कुमार का जीवन वृत्त प्रस्तुत किया गया है।
कवि की तीसरी रचना पास पुराण है। यह एक खंडकाव्य है। यह ग्रंथ अजमेर में सुरक्षित है। इस ग्रंथ में भगवान पार्श्वनाथ के चरित्र का चित्रण किया गया है।